भेड़िए और पटकाई की औरतें
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युवा कवि रेमोन लोंग्कू की भेड़िए और पटकाई की औरतें (अरुणाचल प्रदेश के पटकाई क्षेत्र की आदिवासी कविताएँ) उन सभी के लिए है जो आदिवासी संस्कृति, चेतना और प्रकृति के प्रति गहरे जुड़ाव को समझना चाहते हैं।
Description
युवा कवि रेमोन लोंग्कू (Remon Longku) की पहली काव्य कृति भेड़िए और पटकाई की औरतें (Bhediye Aur Patkai Ki Aurtein) आपको अरुणाचल प्रदेश के पटकाई क्षेत्र की तांग्सा आदिवासी जीवनदृष्टि, इतिहास, प्रकृति, समुदाय और राजनीति की गहराइयों में ले जाएगी। यह सिर्फ एक काव्य संग्रह नहीं, बल्कि एक जीवंत दर्शन हाअ्खो की पुकार है, जो प्रकृति और पुरखों के साथ सह-अस्तित्व की भावना को संजोता है।
📜 इस संग्रह की कविताएं आपको बताएगी:
✔️ तांग्सा आदिवासियों की अनकही कहानियाँ और उनका पुरखों से जुड़ा प्रकृति दर्शन।
✔️ बाहरी अतिक्रमण और शोषण के खिलाफ उनकी लड़ाई।
✔️ एक ऐसी दुनिया जहाँ जाति, लिंग, नस्ल का भेदभाव नहीं, बल्कि स्वागत और समरसता है।
✔️ “हाअ्खो” सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि जीने का एक तरीका है?
⚡ भेड़िए और पटकाई की औरतें उन सभी के लिए है जो आदिवासी संस्कृति, चेतना और प्रकृति के प्रति गहरे जुड़ाव को समझना चाहते हैं।
🌿 अगर आप तैयार हैं तांग्सा आदिवासी समाज की आत्मा हाअ्खो को महसूस करने के लिए तो इसे जरूर पढ़ें।
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